हमारी संस्कृति एवं हम by
आचार्य अर्जुन तिवारी
किताब के बारे में...
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
https://hindi.shabd.in/hamari-sanskriti-avan-ham-acharya-arjun-tiwari/book/10081210
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आचार्य अर्जुन तिवारी
किताब के बारे में...
हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीन एवं ओजस्वी संस्कृति कही जाती है! हमें विश्वगुरु कहा जाता था तो उसका आधार हमारी संस्कृति एवं संस्कार ही थे ! हमारे महापुरुषों ने समाज के लिए कुछ आदर्श स्थापित किये थे! उन आदर्शों के बलबूते पर ही हम विश्वगुरू थे! चिन्तनीय यह है कि हमारे पूर्वजों ने संस्कृति एवं संस्कार को दिव्य ज्ञान हमको दिया था हम उनका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं! आज विचार करने की आवश्यकता है कि हमारे पूर्वज क्या थे और हम क्या होते जा रहे हैं !
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